-
Notifications
You must be signed in to change notification settings - Fork 1
/
Copy pathpd-sample1.php
225 lines (222 loc) · 32.3 KB
/
pd-sample1.php
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
42
43
44
45
46
47
48
49
50
51
52
53
54
55
56
57
58
59
60
61
62
63
64
65
66
67
68
69
70
71
72
73
74
75
76
77
78
79
80
81
82
83
84
85
86
87
88
89
90
91
92
93
94
95
96
97
98
99
100
101
102
103
104
105
106
107
108
109
110
111
112
113
114
115
116
117
118
119
120
121
122
123
124
125
126
127
128
129
130
131
132
133
134
135
136
137
138
139
140
141
142
143
144
145
146
147
148
149
150
151
152
153
154
155
156
157
158
159
160
161
162
163
164
165
166
167
168
169
170
171
172
173
174
175
176
177
178
179
180
181
182
183
184
185
186
187
188
189
190
191
192
193
194
195
196
197
198
199
200
201
202
203
204
205
206
207
208
209
210
211
212
213
214
215
216
217
218
219
220
221
222
223
224
225
<?php
$pd_akza = <<<EOT
अक्ष [L=3847] [p= 1-0154] 1 .अक्ष^1¦ (ákṣa) m. [MAYR. accent, PhiSū. 35] 1A an axle B a measure
of length C a wheel, whorl D a pole E a cart 2A collar-bone
B temporal bone C region of the nipple of the female breast 3A a beam
for holding the balance B the base of a column 4 axis, terrestrial
latitude 1A axle आ…।ऋणोरक्षं न चक्रयोः ṚV. i. 30. 14; i. 166. 9; स्थिरौ
गावौ भवतां वीळुरक्षो मेषा वि वर्हि मा युगं वि शारि ṚV. iii. 53. 17; vi. 24. 3;
हिरण्ययी वां रभिरीषा अक्षो हिरण्ययः ṚV. viii. 5. 29; viii. 46. 27; यो अक्षेणेव
चक्रिया शचीभिर्विष्वक्तस्तम्भ पृथिवीमुत द्याम् ṚV. x. 89. 4; सप्तास्य नाभीरमृतं
न्वक्षः AV. xix. 53. 2; TaiS. II. vi. 3. 3; यर्हि हविर्धाने प्राची प्रवर्तयेयुस्तर्हि
तेनाक्षमुपाञ्ज्यात् TaiS. III. i. 3. 1; TaiS. VI. ii. 9. 1; दण्डो वा औपरस्तृती-
यस्य हविर्धानस्य वषट्कारेणाक्षमच्छिनत् TaiS. VI. ii. 9. 4; अधोऽधोऽक्षं द्रोणकलशं
प्रोहन्ति PañcBr. vi. 5. 14; तं पवयित्वा पश्चादक्षं सादयति JaimiBr. 1. 73; अथ
वै चक्रीवदाश्विनमालम्बने चक्रे अकूध्रीच्योऽक्षः KauṣiBr. 18. 4; पुरोऽक्षमेवान्यं
पश्चादक्षमन्यम् ŚatBr. V. i. 2. 15; VI. viii. 1. 10; नास्याक्षो यातु सज्जति
TaiĀ. i. 11. 8 सर्वे साम्नो निधनमुपेत्योत्तरस्य हविर्धानस्याधोऽक्षं सर्पन्ति
ŚāṅkhāŚS. x. 21. 12; अक्षञ्चेदुपहन्युः पुनः प्रोहेयुः LātyāŚS. i. 9. 22;
अक्षेषायुगयोक्त्राणि चक्राणि विविधानि च।चिच्छेद शतधा कर्णः MahāBhā.
viii. 56. 38; iii. 1112*; चक्राक्षयुगदण्डैश्च भग्नैर्धरणिसंश्रितैः Rāmā. vi. 33. 44;
यानसमायुक्तोऽक्षः प्रकृत्यैवाक्षगुणैरुपेतः CaraS. iii. 3. 38 (1941 Ed.); स्नेहा-
भ्यक्ते यथा ह्यक्षे चक्रं साधु प्रवर्तते SuśruS. iii. 4. 15; अक्षे चक्रं निबद्धं तु ध्रुवे त्वक्षः
समर्पितः VāyuP. i. 51. 65; भग्नेऽक्षे परिवर्तनं प्रकुरुते च्छिन्नोऽथवा प्रग्रहः Mṛcch.
7. 2; अक्षे रक्षां निबध्य प्रतिसरवलयैर्योजयन्त्यो युगाग्रम्…सिद्धवध्वः…वन्दन्ते
SūryŚ. 67; विभज्य पञ्चधा क्षेत्रम्…।भ्रामक्रमेण विधिवद्विभागेनाक्षमक्षयम् PauṣkS.
8. 23; कारणं सर्वमन्त्राणामक्षे प्रणवमालिखेत् PāraS. 24. 6; अक्षेषु…।खेलन्ति
राक्षसेन्द्रस्य स्यन्दने रामपत्त्रिणः AnarghaRā. 6. 60; मारुतिना भुजबलेन भग्नोऽक्षः
TilaMañ. 135. 23; अनः…व्यवर्तत…व्यत्यस्तचक्राक्षविभिन्नकूबरम् BhāgP. x. 7. 7;
भारोपर्यङ्गुलघनफलकाप्रस्तरो भवेत्।अक्षमक्षोत्तरं चक्रभट्टभारोपयानकम् MayaMa.
31. 34; कुष्यकोट्यधिकावृत्तावक्षौ कोटिद्वयायतौ SamarāSū. 17. 27; MahāN.
3. 87; तदा शाकटिकः कोऽपि शकटं सारदारुभिः।परिपूर्यागतस्तत्रागतस्याक्षस्त्वभज्यत
SamarāSaṁ. 4. 617; तदेतद्रजः संगृह्य हविर्धानयोः शकटयोरक्षे तेन रजसा संयुक्त-
मञ्जनं प्रक्षिपेत् NyāyMāVi. 225. 24 (on iv. 1. 10); अक्षादातलतुङ्गं तु सार्धवेदाङ्गुलं
स्मृतम् ŚilpaRa. ii. 5. 20; 1B a measure of length = 104 aṅgulas (अङ्गुल-
प्रमाणम्) चतुःशतमक्षः BaudhŚuS. 1. 11; KātyāŚuS. 2. 3; KośaKaTa. i. 6937;
NānārthāSaṁ. i. 4. 4. 18; 1C a wheel, a whorl श्रीवत्सध्वजपद्माक्षगजवाजिनिवे-
शनैः।…हस्तन्यस्तैर्नृपस्त्रियः (भवन्ति) BhaviP. 22A. 7 (i. 5. 55); AmarK. 2779;
ŚabdaRaSaK. 345. 1; NānārthaMa. 1988; MediK. 180. 3; 1D a pole Kośa-
KaTa. i. 6174; 1E a cart NānārthRaMā. 1163; MediK. 180. 2; Nānārthā- [Page1-154b+ 64]
Saṁ. i. 44. 17; 2A collar-bone पञ्चेमाश्चतुर्विधा अङ्गुलयो द्वे कल्कुषी दोरंस-
फलकं चाक्षश्च तत्पञ्चविंशतिः ŚatBṛ. X. ii. 6. 14; पञ्चाङ्गुलयश्चतुष्पर्वा द्वे कक्षसी
दोश्चाक्षश्चांसफलकं च सा पञ्चविंशतिः AitĀ. I. ii. 2. 29; 2B temporal bone
साक्षशङ्खके।स्वेदश्चेत् KāśyaS. 30B. 1; अक्षतालूषके श्रोणीफलके च विनिर्दिशेत्
YājñaSm. 3. 87 (comm. Mitā. अक्षः कर्णनेत्रयोर्मध्ये शङ्खादधोभागः BālaKrī.
अक्षः कट्यस्थि); नलका भागविस्तारा त्वक्षगुल्फौ शराङ्गुलैः ĪśānŚiPa. ii. 42. 75;
2C region of the nipple of the female breast व्यासोऽक्षे श्रुतिभिर्यवैः TantrSa.
2. 114 (comm. अक्षे स्तनाग्रभागे श्रुतिभिः चतुर्भिः); 3A a beam for hold-
ing the balance अक्षेषु नद्ध्रीपिनद्धं कारयेत् ArthŚā. i. 258. 3 (2. 19); अक्षः
पादस्तम्भयोरुपरि निविष्टस्तुलाधारपट्टः Mitā. 204. 22 (on 2. 102); VyavaMa.
61. 14; 3B the base of a column भङ्गे मृगालीलकटाक्षार्गलानाम्…।पीडा
संजायते SamarāSū. 17. 170; भग्ना भ्रमाक्षपादैर्वा मल्लमातृकुमारिकाः।राष्ट्रं
हन्युर्नरेन्द्रस्य SamarāSū. 17. 171; 4 axis, terrestrial latitude मध्याह्नात्
क्रमगुणितोऽक्षो दक्षिणतोऽर्धविस्तरहृतो दिक् ĀryaBh. 4. 45; मेरोः सममुपरि विय-
त्यक्षो व्योमस्थितो ध्रुत्रोऽधोऽन्यः PañcaSi. 13. 5; तद्विषुवान्तरमक्षोऽतोऽक्षाच्चैवं प्रकल्प-
येच्छायाम् PañcaSi. 14. 10; शङ्कुच्छायाहते त्रिज्ये विषुवत्कर्णभाजिते।लम्बाक्षज्ये
तयोश्चापे लम्बाक्षौ दक्षिणौ सदा SūryaSi. 3. 14; न तासु विषुवच्छाया नाक्षस्यो-
न्नतिरिष्यते SūryaSi. 12. 42; छायाभिनीतसममण्डलशङ्कुनिघ्नमक्षस्य संगुणमपाहर
नित्यमेव MahāBhāsk. 3. 41; सार्धांशकोऽक्षोऽष्टकलाविहीनः MahāBhāsk. 8. 7;
प्राक्कपाले तु बिम्बस्य पूर्वपश्चिमभागयोः।उदग्दक्षिणतोऽक्षस्य वलनं पश्चिमेऽन्यथा
LaghuBhāsk. 4. 16; यः सममण्डलशङ्कुं कर्णं वा वीक्ष्य सूर्यमानयति।रविसम-
मण्डलशङ्कुज्ञोऽक्षं कथयति स तन्त्रज्ञः BrāhmSphuSi. 15. 12; कर्णश्छाया दिनार्ध-
मर्कोऽक्षः BrāhmSphuSi. 22. 6; लङ्कावधेः स्यादिह दक्षिणोऽक्षः Bhāsv. 5. 7;
यन्त्रवेधविधिना ध्रुवोन्नतिर्या नतिश्च भवतोऽक्षलम्बकौ।तौ क्रमाद्विषुवदह्न्यहर्दले
येऽथवा नतसमुन्नता लवाः Golā. 218. 12 (25. 33); खार्धाद्रवेर्या विषुवद्दिनार्धे।
नतिः पलोक्षश्च स एव तज्ज्ञैः (कथितः) GrahaGa. 72. 11 (9. 12); 125. 28
(11. 39); 153. 15 (15. 11); लग्नं दर्शान्ते त्रिभोनं पृथक्स्थं तत्क्रान्त्यंशैः संस्कृतोऽक्षो
नतांशाः GrahaLā. 6. 1; SiddhāTaVi. 164. 5; 190. 21; सार्धकोटिस्तथा सप्त
नियुतान्यधिकानि वै।योजनानां तु तस्याक्षः ViṣṇuP. ii. 8. 3 = AgniP. 120. 23;
SkandP. i(2). 38. 3; मेरुमूर्धनि तस्याक्षो मानसोत्तरपर्वते DevīBhāP. viii. 15. 34.
[L=3848] 2 .अक्ष^2¦ (akṣá) m. (rarely also n.) [MAYR. 1. 543; accent Uṇā. 3. 65;
PhiSū. 35 / aśnoter akṣaḥ MahāBh. i. 247. 14 (on i. 2. 64); Nyās. ii. 386. 8
(on vi. 2. 121); ii. 420j. 17 (on vi. 2. 192); Prasā. ii. 750. 26] 1A fruit of
Terminalia Belerica, the plant Terminalia Belerica, a dice, game of dice,
gambling B seed of Eleocarpus Ganitrus, the plant Eleocarpus Ganitrus
C rudrākṣa D lotus-seed E indrākṣa F a kind of mustard G Emblic
Myrobalan H Mimosa Pudica I a cowry J nimba K a specific
oily substance L a fragrant substance 2 a measure of weight;
1A fruit of Terminalia Belerica, the plant Terminalia Belerica, a dice,
game of dice, gambling अक्षस्याहमेकपरस्य हेतोः ṚV. x. 34. 2; x. 34. 6; अक्षास
इदङ्कुशिनो नितोदिनः ṚV. x. 34. 7; अक्षैर्मा दीव्यः ṚV. x. 34. 13; अक्षानिव श्वघ्नी
नि मिनोति तानि AV. iv. 16. 5; यां ते चक्रुः सभायां यां चक्रुरधिदेवने।अक्षेषु
कृत्यां यां चक्रुः AV. v. 31. 6; चकार यो अक्षाणां ग्लहनं शेषणं च।स नो देवो
हविरिदं जुषाणः AV. vii. 109 (114). 5; अथाक्षान्निवपति ŚatBr. V. iv. 4. 23;
यदक्षेषु हिरण्येषु गोष्वश्वेषु यद्यशः ŚāṅkhāĀ. 12. 1 (43. 27); यथा वै द्वे वामलके
द्वे वा कोले द्वौ वाक्षौ मुष्टिरनुभवति ChāndoU. vii. 3. 1; तां तत्राक्षेणाघ्नन्ति
Nir. 3. 5 (61. 7); तदेकान्नपञ्चाशतोऽक्षान्निवपति BaudhŚS. i. 46. 16; ĀpaŚS.
v. 12. 14; xviii. 18. 16; तेभ्यश्चतुःशतान् सौवर्णानक्षानुदुप्य विजित्य दिशोऽभ्ययं
राजाभूदिति पञ्चाक्षान् राज्ञे प्रयच्छति ĀpaŚS. xviii. 19. 5; तस्मिंश्चतुःशतम-
क्षान्निवपति MānŚS. 33. 4; अक्षांश्चेदभिजुहुयुस्तत्र गत्वा तूष्णीमुपविशेत् LātyāŚS.
iv. 10. 22; अथ सभायां मध्येऽधिदेवनमुद्धत्यावोक्ष्याक्षान्न्युप्याक्षेषु हिरण्यं निधाय
BhārGS. 2. 7 (38. 3); ĀpaGS. vii. 18. 1; ततोऽक्षैर्वञ्चयित्वा च सौबलेन
युधिष्ठिरम् MahāBhā. i. 55. 39; ii. 53. 1; स्त्रियोऽक्षा मृगया पानमेतत्काम-
समुत्थितम् MahāBhā. iii. 14. 7; iii. 35. 2; viii. 1147*(5); xii. 28. 31;
मद्ये प्रसक्तो भवतु स्त्रीष्वक्षेषु च नित्यशः Rāmā. ii. 1795*(7); व्यसनानि
दुरन्तानि प्रयत्नेन विवर्जयेत्।मृगयाक्षो दिवास्वप्नः ManuSm. 7. 47; पानमक्षाः
स्त्रियश्चैव मृगया च यथाक्रमम्।एतत्कष्टतमं विद्याच्चतुष्कं कामजे गणे ManuSm.
7. 50: त्रपुसाक्षप्रियालानां तैलानि मधुरैः सह SuśruS. iv. 3. 67; धात्री-
पथ्याक्षोपकुल्याविडङ्गान् अवलिह्यात् SuśruS. iv. 9. 44; तेषामध्यक्षाः शुद्धाः काकणी-
रक्षांश्च स्थापयेयुः ArthŚā. ii. 112. 1 (3. 20); एष गान्धारराजोऽक्षान् क्षिपन् सकितवं
प्रहसन् सगर्वम् DūtVā. 12; मृगया पानमक्षांश्च वर्जयेत् पृथिवीपतिः MatsyaP.
220. 8; चक्रमुत्सृष्टमक्षेषु क्रीडासक्तेन लीलया ViṣṇuP. v. 34. 36; अक्षो वृथाट्या
मृगायाद्यनिद्रा YogYā. 2. 2; अक्षान् दीव्यति दानवेन्द्रसुतया सार्धं स्मरार्ते
मयि JānaHa. 10. 87; दीव्यताक्षैस्तदानेन नूनं तदपि हारितम् VeṇīSaṁ. [Page1-155a+ 64]
1. 130; रत्नं तथाक्षश्च निदर्शनानि दशोपदिष्टानि मनुष्यलोके VarāṅgaC. 8. 9;
कटु पाके हिमं केश्यमक्षमीषच्च तद्गुणम् AṣṭāHṛ. i. 6. 158; वर्गः कषायः पथ्याक्षम्
AṣṭāHṛ. i. 10. 31; अक्षैर्दीव्यतीति विधानात् TantrVā. 407. 14 (ii. 1. 23);
परगृहरोधस्तथाक्षेषु KuṭṭaMa. 11; विवर्तयाक्षाञ्शकुने शारक्रीडां प्रवर्तय BālBhā.
2. 12; विकथाक्षकषायाणां निद्रायाः प्रणयस्य च।अभ्यासाभिरतो जन्तुः प्रमत्तः
परिकीर्तितः YaśasCam. ii. 334. 7; देवनादिष्वेकोऽक्ष इति प्रत्ययः NyāyKa. 23. 4;
SiddhYo. 25. 33; 51. 22; 61. 52; प्रीतिभक्त्यादयो भावा मृगयाक्षादयो रसाः।
हर्षोत्साहादिषु स्पष्टमन्तर्भावान्न कीर्तिताः DaśRū. 4. 83; अक्षवज्रशलाकाद्यैर्देवनं
द्यूतमुच्यते AgniP. 252. 29; अक्षैरुन्मत्तता शत्रोः AgniP. 308. 12; अकस्माच्छालता-
लाक्षखादिरोत्पलसेरकाः।गृहमध्ये प्रजायेत्(? रन्) BhaviP. 411A. 6 (ii(3). 20. 123);
वैभीतकांस्तु त्रीनक्षान् गन्धैः समघिवासयेत् ViṣṇuDhaP. ii. 124. 121; पञ्चिका
नाम द्यूतं तच्च पञ्चभिरक्षैः शलाकाभिर्वा स्यात् Prasā. i. 479. 11; क्रीडा सजीवनिर्जीवा
ग्लहपूर्वाक्ष उच्यते ŚyaiŚā. 2. 20; निम्बाम्रकोविदाराक्षव्याघिपाताश्च गर्हिताः।
गृहकर्मणि नेष्टास्ते यतस्तेऽनिष्टदायिनः SamarāSū. i. 16. 20; अक्षे वसति पिशाचः
SaraKaṇṭhā. 386. 20; स्यादक्षैर्मरणादिकम् (हुतैः) ĪśānŚiPa. i. 43. 81; सार्व-
भौमस्य…अक्षकन्दुकादिभिर्विक्रीडनं लीलामात्रं दृश्यते VedāntKau. 174. 15 (on ii.
1. 32); मदश्चतुर्विधश्चान्यः पूगभङ्गाक्षकोद्रवैः ŚārṅgaS. i. 7. 203; AśvaVai. 12. 54;
अक्षस्य भङ्गं च विपाच्य दुःखे स्वेदोऽस्य नाड्या प्रविचार्य नेत्रे Hastyāyur. 212. 10
(2. 17); नलस्य काङ्क्षितो नाक्षः पतति स्म कथंचन PāṇḍaC. 6. 328; RasRaSa.
13. 37; अक्षान् पातय कल्याणि यद्भाव्यं तद्भविष्यति SiṁhāDvā. 122. 6; तिन्तिडीक-
विफलाक्षनीतिका कोविदार इति भीतिदो गणः ŚārṅgaPa. 2149; यदि तवाक्षा द्विर-
भ्यस्ताः पतन्ति…तदा शतं ते ददामि DaṇḍaVi. 3; दीव्यत्यक्षैर्न चायं गदितुमवसरो
भूय आयाहि याहि Kuval. 117; n. अक्षं कषायं मधुरं पाके BhojanKu. 102. 5;
1B seed of Eleocarpus Ganitrus, the plant Eleocarpus Ganitrus यथा
हस्तस्थितानक्षान् पश्यन्ति पुरुषाः ParaS. 26. 82; अक्षैस्त्रिलोकीजयिभिर्जितोऽहम्
KathāK. 142. 21; लीलाङ्गुष्ठनिवेशिताक्षवलयम् YaśasCam. i. 475. 2; मन्त्रमुच्चार-
यन्नक्षमेकैकं कर्षयेच्छनैः ĪśānŚiPa. ii. 13. 119; 1C rudrākṣa MediK. 180. 3;
BhāvPraNi. 202. 1; KalpaK. 263. 132; ŚabdaRaSaK. 345. 1; 1D lotus-
seed किमन्यदक्षस्य संभवपदं ननु कर्णिकायाः KalyāMaSt. 14; BhāvPra-
Ni. 202. 1; AbhidhāMañ. 272. 3; AnekāSaṁ. 2. 543; 1E indrākṣa
MediK. 180. 3; 1F a kind of mustard (devasarṣapa) RājNi. 430. 12;
1G Emblic Myrobalan, NānārthāSaṁ. i. 44. 17; DharK. 2850;
1H Mimosa Pudica (raktamūla), KalpaK. 268. 187; 11 a cowry,
NānārthāSaṁ. i. 44. 17; ParaNā. 2593; AnekāTi. 2. 3; 1J nimba(?)
NānārthSaṁ. 5. 6; 1K a specific oily substance, KalpaK. 201. 618;
1L a fragrant substance, VasiS. 18. 121; 2 m. (rarely also n.) a
measure of weight = karṣa = 16 māṣas सुवर्णं चाक्षमेव च CaraS. vii. 12. 90
(1941 Ed.); दत्त्वादौ सैन्धवस्याक्षम् SuśruS. iv. 38. 33; AṣṭāHṛ. vi. 6. 26;
SiddhYo. 76. 24; अक्षं चूर्णस्य निर्दिष्टम् AgniP. 280. 13; RasRaSa. 23. 23;
ŚārṅgaS. 1. 22; अक्षकर्षशब्दयोः सुवर्णपरिमाणवचनत्वम् VīraMi.(Vyavahāra.)
176. 32; NirṇaSi. 242. 17.
[L=3849] [p= 1-0155] 3 .अक्ष^3¦ (akṣa) n. (also m.) [cf. akṣi] 1A eye तेषां सं हन्मो अक्षाणि
ṚV. vii. 55. 6; न चाक्षौ न भुजौ जातु न च वाक्यं समाक्षिपेत् MahāBhā.
iv. 120*. 99; निरुध्याक्षाणि पाणिभ्याम् AgniP. 72. 4; अक्षेषु दृश्यन्ते जलबिन्दवः
LiṅgaP. 2. 4; मुखायामे तु तन्मध्ये चाक्षं कुर्याद्विचक्षणः MānaSā. 60. 16;
पश्यन्नक्षैर्विलक्षम् SubhāRaK. 5. 7; 1B comprising two parts तदूर्ध्वे
चाक्षमब्जं स्यात् MānaSā. 13. 28; कम्पा(म्पम)र्धमम्बुजैः (जम)क्षमूर्ध्वके MānaSā.
13. 43; 2A faculty in general, अक्षमिन्द्रिये Liṅgānu.(Pā.) 115. 5 (comm.
इन्द्रिये किम्?रथाङ्गादौ मा भूत्); Liṅgānu.(Var.) 5. 1; Liṅgānu.(He.) 64. 5;
ज्ञानानि…नव।ध्यानाद्यक्षाधिमोक्षेषु धातौ च AbhidhK. 7. 29; अथैषां पर्यायाः।
इन्द्रियाणि करणानि वैकारिकाणि खानि नियतानि पदानि अवधृतानि अणूनि अक्षाणीति
TattvSa. 122. 8; न सत्तन्नासदित्यपि।अप्रत्यक्षतयाक्षाणां तदसद् द्विजसत्तम JayāS.
4. 75; एकादशकमक्षाणाम् AhirbuS. 6. 18; अक्षस्य संरक्षणमात्रमन्नं ते भुञ्जते प्राण-
विधारणाय VarāṅgaC. 30. 60; अक्षाणि भौतिकान्येव नातः शक्तय आत्मनः BṛĀra-
UBhVā. iv. 4. 29; तान्यक्षाणीन्द्रियाणि कर्तॄणि TātpaVṛ. 74. 9 (on 1. 56); प्राकृतं
शुद्धचैतन्यमक्षं तु द्विविधं मतम् AnuVyā. 18B. 10 (on 2. 1); 2B organ of sense
तत्राक्षमक्षं प्रतीत्योत्पद्यते इति प्रत्यक्षम् PadārthaSaṁ. 186. 12; अक्षस्याक्षस्य प्रतिविषयं
वृत्तिः प्रत्यक्षम् NyāyBh. 10. 9 (on i. 1. 3); शब्दादिष्वनुरक्तानि निगृह्याक्षाणि योगवित्
ViṣṇuP. vi. 7. 43; शब्दादिभ्यः प्रवृत्तानि यदक्षाणि यतात्मभिः।प्रत्याह्रियन्ते योगेन
प्रत्याहारस्ततः स्मृतः MārkP. 39. 41; तत्स्वजात्यनपेक्षाणामक्षादीनां समुद्भवे।परिणामो
यथैकस्य स्यात् सर्वस्याविशेषतः PramāVā. 2. 38; अनिग्रहेण चाक्षाणां जायते व्यसनं
नृणाम् Kāvyāda. 2. 247; नियतार्थतयाक्षाणि नानायोनीनि MṛgendraT. i. 12. 12;
न च सर्वात्मनाक्षेण संबन्धोऽर्थस्य विद्यते ŚlokaVār. 4. 62 (153. 2); चोदनाजनिता
बुद्धिः प्रमाणं दोषवर्जितैः।कारणैर्जन्यमानत्वाल्लिङ्गाप्तोक्त्यक्षबुद्धिवत् ŚlokaVār. [Page1-155b+ 64]
2. 184 (102. 2); अक्षाणां पाटवेन च AṣṭāHṛ. i. 11. 2; प्रत्यक्षतः प्रसिद्धास्तु
सत्त्वगोत्वादिजातयः।अक्षव्यापारसद्भावे सहादिप्रत्ययोदयात् TattvaSaṁ. 714;
अक्षार्थयोः संनिकर्षे सति…पुरुषो न नियुज्यते PañcPā. 62. 11 (i. 1. 1);
साक्षाणामान्तरी वृत्तिः प्राणादिप्रेरिका मता ĪśvaPraSū. iii. 2. 14; नियच्छे-
द्विषयेभ्योऽक्षान् मनसा बुद्धिसारथिः BhāgP. ii. 1. 18; अक्षमिन्द्रियं प्रतीत्य
यदुत्पद्यते ज्ञानं तत् प्रत्यक्षं दृष्टमुच्यते MāṭhVṛ. 10. 17 (on 4); SamarāSū. i.
4. 8; अक्षाणीन्द्रियाणि घ्राणादीनि Kiraṇā. 276. 13; अश्नुते विषयमित्यक्षमिन्द्रियम्
PramāMī. i. 1. 10; चौरैरक्षैरिवाध्वस्ताः क्रान्त्वा भवमिवाटवीम् PārśvC. 8. 72;
स्वैरक्षैर्विनयानुकूलगतिभिर्नीत्वा वयो मध्यमम् KaumuMa. 5. 7; 2C organ of
action अक्षं कर्मेन्द्रियम् ManvaMu. 479. 15 (on 12. 72); 2D the number five
म्तौ न्यौ ज्ञेया कुसुमितलतावेल्लिताक्षर्तुलोकैः JayaChand. 7. 19; हृद्देक्षचन्द्रा दशकं
दृगाणे मुसल्लहे पञ्चलवाः प्रदिष्टाः TājiNī. i. 1. 39; त्रिनिघ्नाद् द्युपिण्डाद् द्विधाक्षैः
क्विभाब्जैरवाप्तांशयोगो भृगोराशुकेन्द्रम् GrahaLā. 1. 13; 3. 17; NirṇaSi. 8. 4;
NāraS. 12. 5; VasiS. 32. 72.
[L=3850] 4 .अक्ष^4¦ (akṣa) m. A soul, self यत्तद्दिव्यं महज्ज्योतिः…तदक्षं कल्पयेद्दिव्यम्
AhirbuS. 21. 7; अश्नुतेरथवाश्नातेरक्षोऽजेरञ्चतेरुत।अक्षः पुरुष उद्दिष्टो यः प्रकृत्याश्रितो
विभुः AhirbuS. 59. 10; अक्ष्णोति ज्ञानेन व्याप्नोतीत्यक्ष आत्मा TātpaVṛ. 31. 17
(on 1. 22); अश्नोति…व्याप्नोति ह्यक्षो जीवः PramāMī. i. 1. 10; अश्नाति भुङ्क्ते अश्नुते
वा व्याप्नोति ज्ञानेनार्थानित्यक्षः आत्मा SthānṬ. 49B. 14; AnekāNi. 76; AnekāTi.
2. 3; B n. sensual perception अक्षस्य तु प्रबलस्य प्रामाण्यम् Nyāyāmṛ.
99B. 8; अक्षं प्रत्यक्षम् NyāyMāVi. 17. 13 (on i. 1. 4); ŚabdaRaSaK. 345. 2;
AnekāSaṁ. 2. 543; ŚabdaBhePr.(Ma.) 4. 35; MediK. 180. 2.
[L=3851] 5 .अक्ष^5¦ (akṣa) m. 1A name of a Pravara अक्ष…इत्येतेषामविवाहः Mān-
ŚS. 242. 13; 1B name of a son of Rāvaṇa शूरमक्षं च निष्पिष्य ग्रहणं समुपा-
गमत् Rāmā. i. 1. 60; प्रहृतं हि मया पूर्वमक्षं स्मर सुतं तव Rāmā. vi. 47. 57; तेन
हि कुमारमक्षमाज्ञापय वानरग्रहणाय Abhiṣe. 3. 5 (1); हतोऽक्षः कुमारः MahāvīC.
vi. 4. 9 (156. 1); अवरिष्टाक्षमक्षम्यं कपिं हन्तुं दशाननः Bhaṭṭi. 9. 26; अक्षश्च
निहतो येन हनूमन्तमवेहि तम् PadmP. iv. 44. 76; आनन्दसिन्धौ पृतनासमक्षमक्षस्य
हन्ता नितरां ममज्ज RāmāCam. 5. 72; 1C name of Śiva अष्टोत्तरसहस्रं तु नाम्नां
शर्वस्य मे शृणु…अक्षश्च MahāBhā. xiii. 17. 119; 1D name of a son of Kṛṣṇa
and Satyabhāmā. सानुर्भानुस्तथाक्षश्च रोहितो मन्त्रयस्तथा।…सत्यभामासुतानेतान्
VāyuP. ii. 34. 228; BrahmāṇḍP. ii. 71. 247; 1E name of a son of Akrūra
and Ratnā गिरिरक्षस्तथोपेक्षः LiṅgaP. i. 69. 27; 1F name of a son of Danu
अक्षो हिरण्मयश्चैव BrahmāṇḍP. ii. 6. 11; 1G name of a king of Kashmira
नरः षष्टिं तस्य सूनुस्तावतोऽक्षश्च तत्सुतः RājTa.(Ka.) 1. 338; RājTa.(Ka.)
Add. 8. 10; 1H name of a Ṛṣi. भूताक्षयक्षग्रहाः…प्रणष्टाः परमर्षयः VṛGauta-
Sm. 503. 21; 11 the zodiacal sign Taurus (Vṛṣa) कुलीराक्षमिथुनस्य दक्षिणे
पश्चिमालयम् MānaSā. 35. 88; 2 law-suit, AgniP. 361. 37; AnekāSa. 26;
AmaK. 2779; Vaija. 230. 2; 3 a snake, ŚabdaRaSaK. 345. 1; MediK.
180. 3; 4 sky, Anekā.(Pa.) 2594; AnekāTi. 2. 4; 5 hastipakṣa DharK.
2850; 6 culli ViśvaLoK. 402. 2; 7 a tail, NānārthaMa. 1987; 8 vyāpti
NānārthaMa. 1987; 9 srotogra AnekāK. 968; 10 ādhāra Vaija. 230. 2;
11 ācāra समेत्य कच्चिद्वनदेवतागणैस्त्वमीक्षसेऽक्षान् मृगपक्षिणामपि RāmC. 5. 29;
ViśvaLoK. 402. 2; AbhidhāRaMā. 5. 66; 12 nyāya Vaija. 124. 15;
AbhidhāRaMā. 274; 13 rāyaṇi(? rāvaṇi) AnekāMañ. 81; 14 nimnaga
kṛtya AnekāMañ. 81; 15 nitya NānārthāSaṁ. 1. 44; NānārthSaṁ. 1. 6.
[Garuḍa; a person born blind, ŚabdaKaDru.]
[L=3852] 6 .अक्ष^6¦ (akṣa) n. [MAYR. 1. 543] 1 sochal salt अक्षं सौवर्चलं प्रोक्तम्
DhanvNi. 74. 15; RājNi. 95. 12; BhāvPraNi. 28. 248; 202; AbhidhāMañ.
198. 14 (सुगन्धलवणम्); ParyāMu. 23. 276; ParyāŚaRa. 2. 461; DharK.
2850 (m.); AbhidhāCi. 943; AnekāSaṁ. 2. 544.; 2 blue vitriol,
AnekāSaṁ. 2. 544 (तुत्थे); MediK. 180. 3; ŚabdaRaSaK. 345. 3; AnekāTi.
2. 3 (m. read तुत्थे); ParaNā. 2592 (m.); ŚabdaBhePra.(Ma.) 4. 35.
EOT;
?>